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चाणक्य नीति पर आधारित दोहे

*चाणक्य नीति पर आधारित दोहे*
ज्ञान-शील-गुण-धर्म-तप,विद्या-दान-अभाव।
अवनि-भार इव पुरुष अस,विचरे पशु के भाव।।

वनचर संग निवास बरु,पत्र-पुष्प-फल खाहु।
धनाभाव में बंधु सुन,परिजन-गृह मत जाहु।।

लक्ष्मी जिसकी मातु है,पितु है विष्णु समान।
विष्णु-भक्त भाई-सखा,घर त्रिलोक-सुख-खान।।

बुद्धिमान नर जगत में,हत देते बलवान।
गिरा सिंह जा कूप में,शशक-बुद्धि जग जान।।

उचित ज्ञान अरु मधु वचन,धैर्य और गुण दान।
यही चार हैं सहज गुण, मिलें न यत्न-निदान।।
            ©डॉ0हरि नाथ मिश्र
              9919446373

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7 Comments

Reyaan

07-Feb-2024 09:21 PM

V nice

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Gunjan Kamal

07-Feb-2024 06:35 PM

👏👌

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Mohammed urooj khan

06-Feb-2024 02:31 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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